सुविचार

सम्मान अपमान स्टेटस

5
(1)

सम्मान अपमान सुविचार शायरी – samman apman status shayari in Hindi

जिस समय आप किसी का
अपमान कर रहे होते हैं,
दरअसल उस समय आप
अपना सम्मान खो रहे होते हैं ।

मान और सम्मान की लड़ाई में
कभी अकेले रह जाओ तो रह लेना
पर किसी के सामने
खुद को टूटने मत देना
खुद का सम्मान करोगे
तभी दूसरों से मान पाओगे ।

प्रेम, सम्मान और अपमान,
ये एक निवेश की तरह है,
जितना हम दूसरों को देते हैं,
वो हमें जरूर ब्याज सहित
वापस मिलता है ।

लोगों को भरपूर सम्मान दीजिये
इसलिए नहीं कि उनका अधिकार है
बल्कि इसलिए कि आप में संस्कार हैं ।

अभिमान तब आता है, जब
हमें लगता है कि हमने कुछ किया है और 
सम्मान तब मिलता है,
जब दुनिया को लगता है कि
आपने कुछ किया है

सम्मान सुविचार

सम्मान अपमान सुविचार

आपका सम्मान उन शब्दों में नहीं है,
जो आपके सामने कहे गए,
बल्कि उन शब्दों में है,
जो आपकी अनुपस्थिति में आपके लिए कहे जाते हैं ।

लोग उस समय हमारा सम्मान नहीं करते
जब हम अकेले हों;
बल्कि लोग उस समय हमारा सम्मान करते हैं
जब वो अकेले हों।

अगर आपके पास देने के लिए
कुछ भी नहीं है, तो भी निराश मत होइए।
प्यार और सम्मान के कुछ शब्द भी देने से
आप हमेशा के लिए किसी के दिल में जगह बना सकते हैं।

सम्मान अपमान सुविचार

दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें,
हो सकता है कि यह आपके लिए
कुछ भी ना हो पर
दूसरों लिए बहुत कुछ है ।

अपमान करना
किसी के स्वभाव में हो सकता है,
पर सम्मान करना
हमारे संस्कार में होना चाहिए ।

सम्मान तो समय और स्थिति का होता है
पर इंसान उसे अपना समझ लेता है ।

सम्मान अपमान सुविचार

जो हम दूसरों को देते हैं,
वही लौट कर हमारे पास आएगा,
फिर चाहे वह अन्न हो धन हो
सम्मान हो अपमान हो
नफरत हो या फिर प्रेम ।

यदि सम्मान खोकर कमाई बढ़ती हो,
तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है।

कोयल और कौवे का गायन हुआ लेकिन सम्मान
मिला कौवे को।
कोयल उदास हो गयी।
कौवे ने चिढ़ाते हुए कहा-”तुम बहुत ही मधुर
गाती हो,
मगर सम्मान मुझे मिला, क्यों?”
कोयल बोली-”हो सकता है,
तुम्हारी प्रस्तुति मुझसे बेहतर रही हो।”
कौवा हँस पड़ा, बोला, ”अब ज़माना ‘प्रस्तुति’
का नहीं,
‘स्तुति का है, ‘सेटिंग’ का है।”
कोयल ने पूछा, ”ये स्तुति क्या होती है?”
कौवा फिर हँसा, ”इसके बारे में कौवे ही अधिक
जानते हैं ।

सम्मान और अपमान
हम कह के हासिल नही कर सकते,
हमारे कृत्य और हमारी चाल चलन ही निर्भर करता है कि
समाज से पान खाने को मिलेगा या लात ।

सम्मान अपमान सुविचार शायरी और पढे़ं –

अभिमान को मत आने दो

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

Show More
Back to top button

Adblock Detected

Please turn off the Ad Blocker to visit the site.