प्रेरणादायक विचार

कुछ अलग करना है तो

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कुछ अलग करना है शायरी (Trying something different quotes in Hindi)

कुछ अलग करना है तो
जरा भीड़ से हटकर चलो
क्योंकि भीड़ साहस तो देती है
लेकिन पहचान छीन लेती है ।

भीड़ में खड़ा होना मकसद नहीं है मेरा,
बल्कि भीड़ जिसके लिए खड़ी हो
वो बनना है मुझे ।

मिल सके आसानी से,
उसकी ख़्वाहिश किसे है?
ज़िद तो उसकी है
जो मुक़द्दर में लिखा ही नहीं ।

नये समुद्रों की खोज केवल वो ही
कर सकता है जिसमे अपने तट को
छोड़ने का साहस हो ।

हम भी दरिया हैं,
हमें अपना हुनर मालूम है।
जिस तरफ भी चल पडे़ंगे,
रास्ता हो जायेगा ।

सीढ़ियाँ उन्हें मुबारक
जिन्हें छत पर जाना हो
मेरी मंज़िल तो आसमाँ है
मुझे रास्ता खुद बनाना है ।

झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं
बाज़ की उड़ान में कभी आवाज़ नहीं होती ।

आसमां पे ठिकाने, किसी के नहीं होते,
जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते।

क्यों हम भरोसा करें गैरों पर
जबकि हमें चलना है अपने ही पैरों पर ।

हुकुमत वो ही करता है
जिसका दिलों पर राज होता है
वरना यूंँ तो गली के मुर्गों के
सिरों पे भी ताज होता है ।

हारने वालों का भी अपना रुतबा होता है
मलाल वो करें जो दौड़ में शामिल नही थे ।

हमारे जीने का तरीका थोड़ा अलग है,
हम उम्मीद पर नहीं अपनी जिद पर जीते हैं ।

कुछ अलग करना है पर सुविचार

हम जैसे सिरफिरे ही
इतिहास रचते हैं ।
समझदार तो केवल इतिहास पढ़ते हैं ।

लहरों का सुकून तो सभी को पसंद है,
लेकिन तूफानों में कश्ती निकालने का
मजा ही कुछ और है ।

बात उन्हीं की होती है,
जिनमें कोई बात होती है ।

अपने कमाए हुए पैसों से कुछ खरीदो,
शौक अपने आप कम हो जायेंगे ।

हर किसी को मैं खुश रख सकूँ
वो सलीका मुझे नहीं आता
जो मैं नहीं हूँ,
वो दिखने का तरीका मुझे नहीं आता ।

अगर वो करोगे जो सब करते हैं तो
वही बनोगे जो सब बनते हैं,
अगर वो बनना है जो आज तक कोई नहीं बना है तो
वो करना होगा जो आज तक किसी ने नहीं किया है ,
सब कुछ पाने के लिए सब कुछ लगाना होगा ।

कुछ अलग करना है पर कविता

कुछ करना है तो डटकर चल।
थोड़ा दुनिया से हटकर चल।
लीक पर तो सभी चल लेते हैं।
कभी इतिहास को पलटकर चल॥
बिना काम के मुकाम कैसा?
बिना मेहनत के दाम कैसा?
जब तक न हासिल हो मंज़िल,
तो राह में राहीआराम कैसा?
अर्जुन सा निशाना रख मन में।
न कोई बहाना रख मन में,
जो लक्ष्य सामने है, बस
उसी पर अपना ठिकाना रख।

तट पर बैठे-बैठे, 
तेरे हाथ कहाँ कुछ आयेगा।
रत्न मिलेंगे तुझको जब,
सागर की तह में जायेगा।
कुछ ना आये हाथ अगर,
तो डुबकी अभी अधूरी है।
चाहे जितना भी हो मुश्किल,
पहला कदम जरूरी है ।

कुछ अलग करना है शायरी और पढ़ें –

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