प्रेरणादायक विचार

हौसला बढ़ाने वाली शायरी

4.8
(5)

हौसला बुलंद शायरी, हौसला बढ़ाने वाली शायरी, हिम्मत शायरी

हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे;
तुझे तेरा मुक़ाम मिल जायेगा;
बढ़ कर अकेला तू पहल कर;
देख कर तुझको काफिला खुद बन जायेगा।

Hosla Shayari in Hindi - हौसला बुलंद शायरी

जिंदगी काँटों का सफर है,
हौसला इसकी पहचान है,
रास्ते पर तो सभी चलते हैं,
जो रास्ते बनाए वही इंसान है।

ख्वाब भले टूटते रहे मगर “हौसले” फिर भी जिंदा हो,
हौसला अपना ऐसा रखो जहाँ मुश्किलें भी शर्मिंदा हो।

हौसला होना चाहिए
जिंदगी
तो कहीं भी शुरू हो सकती है।

hosla badhane wale quotes in Hindi - हौसला बुलंद शायरी

दुनिया में कोई काम असंभव नहीं;
बस  हौसला और मेहनत की जरूरत है…।
पहले मैं होशियार था;
इसलिए दुनिया बदलने चला था ।
आज मैं समझदार हूँ;
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ…।

एक सपने के टूटकर
चकनाचूर हो जाने के बाद ,
दूसरा सपना देखने के
हौसले को ‘ज़िन्दगी कहते हैं।

hosla badhane wali shayari in Hindi

आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मी से ही नज़र आता है ।

तेज हवाओं में उड़ते हैं जो
उन परिंदों के पर नहीं हौसले मजबूत होते हैं।

अपने हौसलों को यह मत बताओ कि
तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है,
अपनी परेशानी को ये बताओ कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है।

hosla badhane wali shayari in Hindi - हौसला बुलंद शायरी

जो सफर की शुरुआत करते हैं,
वे मंजिल भी पा लेते हैं.
बस, एक बार चलने का हौसला रखना जरुरी है.
क्योंकि, अच्छे इंसानों का तो रास्ते भी इन्तजार करते हैं।

तू रख यकीन अपने इरादों पर
तेरी हार तेरे हौसलों से बड़ी नहीं होगी ।

जुनून, हौसला और पागलपन आज भी वही हैं
मैंने जीने का तरीका बदला है तेवर नहीं ।

हौसला बुलंद शायरी पर और पढ़ें – हौसले के तरकस में कोशिश का वो तीर

जुनून है जहन में तो हौसले तलाश करो,
बहते हुये पानी की तरह रास्ते तलाश करो,
ये बैचेनी रगों में बहुत जरूरी है,
उठो सफर के नये सिलसिले तलाश करो ।

तूफान में ताश का घर नहीं बनता,
रोने से बिगड़ा मुकद्दर नहीं बनता,
दुनिया को जीतने का हौसला रखो
एक हार से कोई फ़क़ीर और
एक जीत से कोई सिकन्दर नही बनता ।

लहरों को साहिल की दरकार नहीं होती,
हौसला बुलंद हो तो कोई दीवार नहीं होती,
जलते हुए चिराग ने आँधियों से ये कहा,
उजाला देने वालों की कभी हार नहीं होती।

hosla badhane wali shayari in Hindi - हौसला बुलंद शायरी

तू रख हौसला वो मंजर भी आयेगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा
थक हार के न रुकना ए मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेगी मिलने का मजा भी आयेगा ।

बुलंद हो हौसला तो मुट्ठी में हर मुकाम है,
मुश्किलें और मुसीबतें तो ज़िंदगी में आम हैं,
ज़िंदा हो तो ताकत रखो बाज़ुओं में लहरों के खिलाफ तैरने की,
क्योंकि लहरों के साथ बहना तो लाशों का काम है ।

हौसला मत हार गिरकर ए मुसाफिर
अगर दर्द यहाँ मिला है तो दवा भी यहीं मिलेगी ।

डर मुझे भी लगा फासला देखकर
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर
खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई
मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर ।

ऐसा  नहीं  कि  राह  में  रहमत  नहीं  रही 
पैरों  को  तेरे  चलने  की  आदत  नहीं  रही 
कश्ती  है  तो  किनारा  नहीं  है  दूर
अगर  तेरे  इरादों  में  बुलंदी बनी  रही ।

यूं ही ठोकरों के डर से कभी सफर छोड़ा नहीं जाता
गर्दिशों में फंस कर भी अपनों को छोड़ा नहीं जाता
ज़िंदगी की राह में मुश्किलें मिलती हैं बेशुमार
पर हालात से डर के कभी हौसला छोड़ा नहीं जाता ।

हौसला बुलंद शायरी पर और पढ़ें –

मुश्किल इस दुनिया में कुछ भी नहीं

कुछ अलग करना है तो


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